होली और नेताजी
यार मतलब अजीब आवारागर्दी है, ये बड़े बड़े महलों में रहने वाले बड़े लोग, आज बड़ी बड़ी झाड़ू लेकर सड़क पर क्यों उतर गए है……?
भाई जितने बड़े खुद नही है, उससे भी बड़ी उनकी झाड़ू और उससे भी ऊंचा है उनकी कुर्सी का कद।
बाप रे ! मेरा तो बस दिमाग ही घुमा जा रहा था, वैसे मेरा दिमाग हमेशा घुमते - फिरते ही रहता है, कभी घास खाने चला जाता है तो, कभी कही और कुछ और …।
वो कहते है न खाली दिमाग शैतान का घर, पर अगर दिमाग ही शैतान का हो तो खाली कैसे हो सकता, अरे भई मेरे दिमाग की खुराक मुझसे भी ज्यादा है, अब क्या किया जाए, फिलहाल यहाँ ध्यान देते है कि ये बड़े बड़े नेता जी लोग यहां सड़क पर क्या कर रहे, भई यहां तो गन्दगी भी नही दिख रही।
अब दिमाग मतलब मेरे खोपड़े में रहने वाला एक शैतान, या यूं कहिए शैतान के शैतानी खोपड़ी में शैतान का शैतानी दिमाग, गुररर इतना कौन बात बनाता है भई!...!
मगर हमारी खोपड़ी तो बस फिर गयी थी कि बिना गन्दगी वाली जगह है ये “नेताजी” लोग कौन सा कारनामा करने वाले है।
पर ये क्या …..
अभी “नेताजी’’ लोगो के आये मात्र 10 मिनट भी नही हुए थे, इतनी देर में गन्दगी का अंबार लग चुका था, वैसे सच बात है जहाँ “नेताजी” लोग जाते है, वहां गन्दगी खुदब-खुद पहुंच जाती है।
अब ये मत पूछियेगा ऐसा क्यों…?
वो कीचड़ मतलब कचरे माने गन्दगी का “नेता जी” लोगो से ‘जन्म - जन्म का साथ’ वाला बन्धन होता है।
अभी “नेताजी” लोगो का अपने सम्पूर्ण दल के साथ केवल पहली बार झाड़ू चला ही था कि वहाँ पर तीन - चार गाड़िया आकर रुकी ।
सोचो कौन आया होगा…
सोचो सोचो….….!!
अगर आप सोच रहे है कि ये स्वच्छता अभियान विभाग वाले है तो ध्यान लगाकर सुनिए ऐसा कुछ भी नही है ये है…..
मीडिया वाले...!
हाँ जी, बिल्कुल सही समझे ये है मीडिया वाले
वो भी अनेकों भिन्न भिन्न चैनल्स से आये हुए।
अब ये मत पूछियेगा कि ये सब यहां कैसे, भई इनका भी बड़ा गहरा नाता होता है इन “नेताजी” लोगो से, एकदम पानी और मगरमच्छ जैसा।
अरे नही नही मछली और मगरमच्छ जैसा।
पहाड़ को राई बनाये न बनाये, पर तिल को ताड़ और राई को पहाड़, बिना कहे पूछे बना देते है।
अब आप पूछेंगे, ऐसा क्यों..?
तो एकदम चार आने का जवाब है जो सोलह आने सच है, TRP चाहिए हाँ जी हाँ, इनको TRP चाहिए, बिना TRP के तो चैनल बैठ जाये न इनका।
अब हमारे “नेताजी” लोग है इन सब और हम सब के उद्धारक , इसी तरह के कुछ कार्य करके उनको TRP प्रदान करते रहते है और उनकी पेट पर पड़ रही लातो को रोकने का निरंतर प्रयास करते है।
जरा देखिए कि क्या कह रहे है ये सब रिपोर्टर लोग...
“देखिये ये हमारे सुप्रसिद्ध नेता जी ‘धोखादेवानन्द’ (धोखा मैने खुद से एड किया है नाम तो देवानंद ही है पर हर वचन के बाद धोखा ही देते देते हैं इसलिए धोखा पहले जोड़ा है हिहिहि...) जी को बरसो से हमारी इस पावन धारा को साफ करते आ रहे है और हम सबके सबसे प्रिय(अप्रिय) नेता रहे है, इन्होंने ने आज भी “होली” के शुभ अवसर पर आज फिर हमारी इस प्यारी नगरी को साफ कर रहे है, नेता जी क्या आप कुछ सन्देश देना चाहेंगे?”
होली और नेताजी
क्या “होली”..? ये शब्द सुनने के बाद मुझे याद आया कि आज होली है, और मुझे तो आज रंग खेलना है पर इधर तो कोई रंग नही डाल रहा है, बस एक दूसरे पर कीचड़ मतलब धूल उछाल रहा है।
अब नेता जी कुछ कहने वाले है शायद, बहुत मुश्किल से चंद लफ्ज फूटे उनके मुँह से, मुझे लगा तो ऐसा ही था पर….….
शायद ये भी मेरा भ्रम था.. , मेरे शैतानी खोपड़ी में रहने वाला शैतान का दिमाग सोच सोचकर पागल होने वाला था, कि ये अब क्या बोलेंगे पर..
मेरा दिमाग कितना भी शैतान का हो, पर आज मुझे मानना पड़ा काफी छोटे शैतान का दिमाग है मेरा, मुझसे भी बड़े बड़े शैतानी खोपड़ी वाले है संसार मे।
नेता जी के बोल फूटे - “देखिए, सुनिए! माननीय और महोदया हमारे प्यारे प्यारे गली बॉयज एवं गर्ल्स ।”
आप सबको नमस्कार ..!
देखिये ..
(“यार अब कितना देखूं, क्या देखूं समझ नही आ रहा, मगर नेता जी तो पूरी तरह से दिखाने के फिराक में थे”)
झाड़ू दिखाते हुए, “ये हमारा हथियार, इससे हम गन्दगी दूर करते है।”
(ये तो हमे भी पता है भई, इससे और बेलन से औरतें अपने पतियों के मन की गन्दगियाँ दूर करती है, जिससे उन्हें संसार मे सबसे लुभावनी और विश्व सुंदरी उनकी पत्नी ही नजर आती है है।)
(मगर यहाँ का मामला कुछ और है।)
“हम सब, आप सब गन्दगी तो फैलाते है परन्तु सफाई करने नही जानते, सरकार इसके लिए कई योजनाएं निकाल रही है, पर हम आज भी गन्दगी में जी रहे है, आज होली के सुबह अवसर पर मैं कहना चाहूंगा कि आप गन्दगी न फैलाये, ऐसे रंग खेले जिससे रंग जमीन पर न गिरे, क्योंकि रंग में विभिन्न प्रकार के..... विभिन्न प्रकार के वो होते हैं जिनसे सभी सबकुछ भुलाकर एक ही रंग में रंग जाते हैं, इसलिए जमीन पर रंग गिराने से बचे, इस माटी के महत्व को समझे और वे लोग जो होली के इस पावन अवसर पर रंग के डर से अपने अपने घरों में दुबक कर बैठे हुए है, वे बाहर आये और होली में रंगों का आनंद लें।” नेता जी अटकते हुए बोलते गए, फिर एक गहरी सांस ली और उसके पश्चात पुनः बोलना आरंभ किया।
“होली हमारे भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, आप सब अपने मन मे लीन, हीन भावनाओ को त्यागकर, एक दूसरे से मिले और होली खेले।
आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं
देखिये, हमे गन्दगी को भी दूर करना है, इसलिए अब हम अपने शब्दों को विराम देते है।” हम्फ.. इतना परमसत्य (सफेद झूठ) बोलते बोलते नेताजी की सांसे फूलने लगी और वे अपने हाथ से माइक्स को हटाने का प्रयास करते हुए बोले। रिपोर्टर जन उनपर जबरदस्ती धक्का मुक्की के चढ़ने का प्रयास किया मगर कोई भी उन तक न पहुंच सका। नेताजी अपने गरीब रिपोर्ट्स को धक्का मुक्की करते देखा तो मन विचलित हो गया वे पुनः लौटे!
होली और नेताजी
“यह त्योहार प्रेम और समन्वय का है। अगले चुनाव में जीतते ही हम इस शहर को सिंगापुर बनाएंगे, कृपया हमारा सहयोग करें अभी हमें अपने नगर को स्वच्छ बनाना है। जय हिंद!” दोनो हाथ जोड़े हुए नेता जी वापस मुड़े और पुनः झाड़ू उठा लिया, उनके साथ उनके चमचे मतलब कार्यकर्ता भी इस कार्यक्रम में जुड़ गए। चारो तरफ से तालियों की जोरदार गर्जना हुई, जैसे बादल फट गया हो।
मेरा शैतानी दिमाग अब आए उछल कूद मचाने लगा, मैने रंग और एक बाल्टी का व्यवस्था कर घोला और रंग से भरी एक पूरी बाल्टी नेताजी और उनके साथियों के ऊपर उड़ेल दिया।
“ये क्या किया मूर्ख, नही जानता तू कौन है।” नेताजी से पूर्व उनके कार्यकर्ता बोले।
“जी मैं जानता हूँ?” मैने मासूमियत से उत्तर दिया। (वैसे तो मैं कतई मासूम नही हूं पर नेताजी और उनके पिट्ठुओं के समक्ष मुझसे मासूम कोई नजर न आ रहा था)
“तो बता मैं कौन हूँ..?” अब तक श्री देवानंद की को भयंकर क्रोध आ चुका था, उनका सफेद कुर्ता मेरे द्वारा डाले गए लाल रंग से भीग चुका था।
“म...मैं..?” मैं मिमियाया।
“नही मैं..?” नेताजी क्रोध से उबल पड़े थे, उनके लाल रंग में भीगे कुर्ते से ज्यादा आंखों में लाली दिखाई पड़ रही थी।
“मैं कुछ भी नही हूँ।” मैने स्वयं को स्थिर कर संयमित स्वर में बोला।
“अरे बेवकूफ मैं अपनी बात कर रहा हूँ" नेताजी झल्ला उठे, मधुर वचन बोलने वाले नेता जी का क्रोध देख मेरे दिमाग में बैठा शैतान छोटी सी रस्सी के सहारे फांसी लगाकर लटक गया, अब मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं कैसे बताऊं की मैं कौन हूं।
“आप एक सरकारी कर्मचारी है, जो इन सबके साथ गन्दगी साफ़ कर रहे है।” अब मैंने विनम्र भाव से उत्तर दिया।
“ये यहां का वर्तमान विधायक “ श्री देवानन्द जी” है" नेताजी के कार्यकर्ताओं ने नेताजी के बारे में मेरी सामान्य ज्ञान को सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने लगे।
“ओह्ह, अब मुझे क्या पता, मुझे पता नही था” मैं अपराधी भाव से बोला। पर होली में रंग खेलना गलत बात तो नही है, अभी नेता जी इसी बारे में पता नही क्या क्या ज्ञान दे रहे थे। मैं अपनी ही सोच में उलझा हुआ था, तभी मेरे कानो में फिर बारूद फट पड़े।
“नीच कही के, बात बात पर जवाब देना जरूरी है क्या।” नेता जी क्रोध से झल्लाते हुए मुझपर चिल्लाए।
“एक बात बोलू नेताजी, पहले मन मे जो कीचड़ है उसे साफ कीजिये, फिर तन, बदन और सड़क साफ कीजियेगा।” नेता जी के अपने ही प्रवचन के खिलाफ जाने से मेरे अंदर का नागरिक जाग गया और मेरी आंखों क्रोध भर गया। कदाचित संसार में इससे बड़ी कोई गलती नही है कि आपने एक नेता के समक्ष सत्य बोलने का साहस किया है। मैने क्या कहा यह बात मुझे समझ न आई और पता नही नेताजी और उनके कार्यकर्ताओं को मेरी बात समझ मे आई या नही, पर वे और उनके सभी सहयोगी बाल्टी में नाले का पानी भर के और हाथ मे झाड़ू लेकर मुझे दौड़ा रहे है। मुझे नही पता ये कब तक ऐसे ही दौड़ाते रहेंगे और मैं कब तक ऐसे भागता रहूंगा। अब तो सांसे भी रुकने लगी हैं, बस इसीलिए तुम्हे बता रहा हूं... हम्फ…..।
होली की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ, मैं आपका मित्र...
मनोज कुमार "MJ"
Sahil writer
05-Jul-2021 03:32 PM
Behtarin
Reply
Author Pawan saxena
14-Mar-2021 10:48 PM
Best story
Reply
मनोज कुमार "MJ"
03-May-2021 04:17 PM
Thanks
Reply
Aliya khan
11-Mar-2021 08:56 PM
Bahut khoob
Reply
मनोज कुमार "MJ"
03-May-2021 04:17 PM
Thanks
Reply